सोहनपुर देवरिया। बनकटा थाना क्षेत्र के जैतपुरा में चल रहे संगीत मय राम कथा के पांचवें दिन माता सीता के चरित्र के माध्यम से कथा वाचिका अर्चना मणि पराशर ने बताया कि नारी शक्ति को कैसे अपने मर्यादा का पालन करना चाहिए।सीता जी श्रीराम जी से फुलवारी में मिली उसके बाद भी अपने पिता के प्रण का ध्यान रखती है। इसका गोस्वामी जी मानस में संकेत करते हैं सुमिरि पिता पनु मनु छोभा आगे सीता जी तुरन्त अपने मन को धर्म से जोड़ती है अपने चरण को पीछे करते हुए गिरिजा जी के मंदिर में जाती है वहां से बिलम्ब जानकर माता के भय से महल लौटती है।कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि भगवान राम ने कैसे हमारे जीवन के तीन शत्रुओं पर काम क्रोध और लोभ पर विजय प्राप्त किया था।क्रोध भूत काल को लेकर चलता है।काम वर्तमान को लेकर चलता है और लोभ भविष्य की बातों को लेकर चलता है।भूत की बातों को लेकर क्रोध करने से वर्तमान नष्ट हो जाता है। कामातुर होने से भविष्य का विनाश होता है। भविष्य के लोभ की चिंता होने से वर्तमान उपेक्षित हो जाता है इस तरह से तीनों घातक है।