Sunday, December 22, 2024
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GST Council की 55वीं बैठक 21 दिसंबर को जैसलमेर में, इन चीजों पर हो सकता है टैक्स घटाने का ऐलान !

जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक 21 दिसंबर 2024 को राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित होने जा रही है, जो कि खासतौर पर अहम मानी जा रही है. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राज्यों के वित्तमंत्री भी हिस्सा लेंगे. इससे पहले इस बैठक के नवंबर में होने की संभावना थी, लेकिन अब यह दिसंबर में तय हुई है.

जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक 21 दिसंबर 2024 को राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित होने जा रही है, जो कि खासतौर पर अहम मानी जा रही है. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राज्यों के वित्तमंत्री भी हिस्सा लेंगे. इससे पहले इस बैठक के नवंबर में होने की संभावना थी, लेकिन अब यह दिसंबर में तय हुई है. बैठक में राज्यों के वित्तमंत्री अगले वित्त वर्ष के बजट से जुड़े अपने सुझाव भी पेश करेंगे, जो कि 1 फरवरी, 2025 को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा.

टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST में बदलाव की संभावना

इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी से छूट का प्रस्ताव है. इस पर राज्यों के मंत्रियों की एक समिति अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी है. अक्टूबर 2024 में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर गठित मंत्रियों के समूह ने टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को जीएसटी से बाहर करने पर सहमति जताई थी. इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव हो सकता है.

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी छूट संभव

बैठक में यह भी संभावना है कि 5 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी से छूट दी जा सकती है. हालांकि, 5 लाख रुपये से अधिक कवर वाली पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी जारी रहेगा. इससे हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के बाजार को प्रोत्साहन मिल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास कम से कम स्वास्थ्य कवर है.

जीएसटी स्लैब की समीक्षा की मांग बढ़ी

देश में जीएसटी के चार मुख्य स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) के तहत टैक्स लगाया जाता है. जरूरी चीजों पर जीएसटी का कम रेट या छूट लागू होता है, जबकि लग्जरी वस्तुओं पर उच्च टैक्स दर लगती है. हालांकि, हाल के आंकड़ों के मुताबिक, जीएसटी का एवरेज रेट 15.3% से कम हो गया है, जिससे रेट्स में बदलाव की मांग तेज हो गई है. विशेष रूप से उन वस्तुओं पर टैक्स घटाने की मांग हो रही है, जो आम लोगों द्वारा ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं.

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