क्षेत्र के ग्राम सवरेजी में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के सातवें दिन कथावाचक पंडित मृगेंद्र शांडिल्य ने श्रद्धालुओं को सुदामा चरित्र की कथा का रसपान कराया। श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का सुंदर विस्तृत वर्णन सुनाया। कृष्ण-सुदामा की मित्रता की कथा सुनकर वहां उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। सुदामा की दयनीय दशा और भगवान में निष्ठा के प्रसंग को सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें भर आई। संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के समापन अवसर पर पंडित मृगेंद्र शांडिल्य ने श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का विस्तृत वर्णन सुनाया। उन्होंने बताया कि सुदामा के लिए धन की कोई कमी नहीं थी। सुदामा के पास विद्वता थी और धनार्जन तो सुदामा उससे भी कर सकते थे। मगर सुदामा पेट के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के लिए कर्म कर रहे थे। वे आत्म कल्याण को प्राथमिकता देते थे। भागवत जैसा ग्रंथ एक दरिद्र को प्रसन्नात्मा जितेंद्रिय शब्द से अलंकृत नहीं कर सकता।
जिसे भागवत ही परमशांत कहती हो उसे कौन दरिद्र घोषित कर सकता है। पत्नी के कहने पर सुदामा का द्वारिका आगमन और प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा के सत्कार पर स्वामी जी ने कहा कि यह व्यक्ति का नहीं व्यक्तित्व का सत्कार है। यह चित की नहीं चरित्र की पूजा है। सुदामा की निष्ठा और सुदामा के त्याग का सम्मान है। कथा वाचक ने बताया कि मित्रता में बदले की भावना का स्थान नहीं होना चाहिए।गायक सिद्धार्थ मणि के द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। इस दौरान कृष्ण-सुदामा की मनोहारी झांकी के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा के दौरान भजनामृत की फुहार पर श्रोताओं का तन-मन झूम उठा। इस अवसर पर मुख्य यजमान सुरेश तिवारी, अजय तिवारी, विजय तिवारी, विकास तिवारी, आशुतोष तिवारी, ज्ञानेंद्र, मनीष गुप्ता, परशुराम तिवारी, मोहन गुप्ता, लक्ष्मण पटेल, सुनील पटेल, उमेश तिवारी, उमेश कुमार, मुकेश मिश्रा सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।