Thursday, August 28, 2025
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यमुना जयंती पर यमुना तट पर स्थित प्राचीन विश्रांत पर हुआ यमुना आरती का दिव्य आयोजन !

एक विचित्र पहल सेवा समिति, औरैया द्वारा चैत नवरात्रि छठ यमुना जयंती के पावन अवसर को दृष्टिगत रखते हुए यमुना तट पर स्थित प्राचीन विश्रांत पर यमुना आरती का दिव्य आयोजन किया गया, आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में मा. अनूप कुमार गुप्ता अध्यक्ष नगर पालिका परिषद, औरैया व विशिष्ट अतिथि के रूप में मा. शिवकुमार पुरवार जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय पुरवार पोरवाल महासभा, औरैया मौजूद रहे, अतिथियों ने यमुना मैया की विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ घंटा शंख आदि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के साथ यमुना मैया की दिव्य आरती उतारकर उनका गुणगान किया, आरती के उपरांत समाजसेवी ज्ञान सक्सेना ने यमुना मैया के चरणों में मचलती हुई हवा में छम-छम हमारे संग-संग चलें यमुना की लहरें गीत प्रस्तुत कर सभी को धार्मिक आस्था में भाव विभोर कर दिया, आयोजन के अंतर्गत समिति के संस्थापक आनन्द नाथ गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि यमुना का उद्गम यमुनोत्री से है, यमुनोत्री जाए बिना उस क्षेत्र की यात्रा अधूरी मानी जाती है, गढ़वाल क्षेत्र की यह 65 सौ मीटर सबसे बड़ी चोटी है, इसे सुमेर भी कहते हैं, इसके एक भाग का नाम कलिंद् है,

यहीं से यमुना प्रारंभ होती हैं, समिति के अध्यक्ष राजीव पोरवाल (रानू) ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत नवरात्र की छठ को यमुना जयंती के पावन अवसर पर समिति द्वारा यमुना आरती का भव्य आयोजन यमुना तट पर स्थित विश्रांत पर धूमधाम से मनाया जाता हैं, यमुना मैया की आरती के उपरांत श्रद्धालुओं ने दीपदान के अंतर्गत अपने व अपने परिवार की सलामती, सुख-समृद्धि, शांति व संपन्नता हेतु अपनी आस्था का एक एक दीपक यमुना मैया के चरणों में समर्पित किया। महिला शाखा तुलसी सखी ग्रुप की अध्यक्ष लक्ष्मी विश्नोई ने बताया कि यमुना और यमराज परम तेजस्वी सूर्य देवता की संतान हैं, यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि यमुना में स्नान करने वाले प्राणी को कभी यमलोक नहीं जाना पड़ेगा, नव संवत्सर शुरू होते ही छह दिन बाद चैत्र नवरात्रि छठ को यमुना अपने भाई यमराज को छोड़कर धरा धाम पर आ गई थी, इसलिए नवरात्र छठ को यमुना जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. एस.एस.परिहर, रेंजर लक्ष्मीकांत दुबे, अविनाश अग्निहोत्री, अजय कांत गुप्ता, भीमसेन सक्सेना, बैंक से सेवानिवृत तेज बहादुर वर्मा, शेखर गुप्ता, एल.एन. गुप्ता, आनन्द गुप्ता (डाबर), शारदा देवी, बबिता गुप्ता, मंगला शुक्ला, गुड्डन गुप्ता, अनुराधा यादव, अर्चना बिश्नोई, अनुपम पोरवाल, अनूप बिश्नोई, हिमांशु दुबे आदि एक सैकड़ा श्रद्धालु मौजूद रहे।

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