देवरिया,, भाटपार रानी व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। क्षेत्र के सवरेजी में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस सोमवार को कथा वाचक पंडित मृगेंद्र शांडिल्य ने यह बात कही। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा व्यास ने बताया कि जब पृथ्वी पर पाप बढ़ने लगता है, साधु संत सताए जाने लगते हैं, धर्म की अवनति होने लगती है तो भगवान किसी न किसी रूप में इस धरा धाम पर अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। द्वापर युग मे जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान श्रीकृष्ण को अवतरित होना पड़ा, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा के दौरान जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर गायक सिद्धार्थ मणि ने नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की..राजा जी खजनवा दे दी, रानी जी गहनवा दे दी सहित आदि भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर झूमने लगे, एक दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाइयां दी गई तथा मिठाइयां बांटी गई। कथा के दौरान मुख्य यजमान सुरेश तिवारी,शब्या देवी, अजय कुमार तिवारी, विजय कुमार तिवारी, संदीप, परशुराम तिवारी,विकास तिवारी, गोलू, विवेक, रणविजय, दिग्विजय, दिनेश तिवारी, उमेश तिवारी, उमेश कुमार, आचार्य मुकेश मिश्रा, आचार्य ऋषिकेश, गीता, सुनीता, मनोरमा, कलावती, बिंदा, माधुरी सहित आदि श्रोता उपस्थित थे।