पनवाड़ी कस्बा में बड़ी माता मन्दिर प्रांगण में चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा के तीसरे दिन रविवार को राम चरित मानस के बाल काण्ड में उल्लेखित प्रसंगों का वर्णन हुआ। व्यास पीठ से साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने वशिष्ठ आश्रम में भाइयों समेत भगवान की शिक्षा दीक्षा, दशरथ विश्वामित्र संवाद, तड़का वध, अहिल्या उद्धार और सीता स्वयंवर का भावपूर्ण वर्णन किया। इस दौरान देवी अहिल्या को श्राप और उद्धार की कथा सुन श्रोताओं के नेत्र सजल हो गए।
भगवान की बाल लीलाओं ने कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं को एक तरफ जहां आनंदित किया, वहीं अहिल्या के साथ किए देव राज इंद्र के छल पर महिला श्रद्धालुओं में रोष देखा गया। साध्वी विश्वेश्वरी ने बताया कि भगवान के जन्म के पहले से ही राजा दशरथ को उनकी शक्तियों का ज्ञान था। फिर भी गुरू विश्वामित्र द्वारा असुरों के संहार के लिए प्रभु राम और लखन को मांगे जाने पर अतिशय पितृ स्नेह के वशीभूत राजा कैसे ऋषि से याचना करते हैं। वह मृत्युलोक की उस सच्चाई को बताता है, जहां परिवार और पुत्र स्नेह में पड़े साधारण गृहस्थ और राजा में कोई भेद नहीं है।
देवी विश्वेश्वरी ने बताया कि निराकार रूप में सर्वत्र व्याप्त परमात्मा ज्ञानियों को आनंद प्रदान करने के लिए साकार रूप में अवतरित होते हैं। सर्व शक्तिमान भगवान का राम रूप में जन्म लेना इसका जीवंत उदाहरण है। राम रूप में भगवान ने माता, पिता, गुरु समाज और देश के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन किया। भारत भूमि को एक करने के लिए भगवान राम अवध से मिथिला और दक्षिण में किष्किंधा और लंका तक पैदल गए। उन्होंने इस दौरान उन्होंने पृथक जातियों, अलग अलग रीत रिवाज, भाषाओं को एकत्रित कर अखंड भारत का निर्माण किया।