बीकेटी, लखनऊ। निलांश वाटर पार्क की पैमाइश के दौरान उपजे विवाद ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है। इस दौरान दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महाराज पर हमला किया गया, जिससे प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि मलिहाबाद के लेखपाल तुषार ने तिरंगा महाराज को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया। निलांश वाटर पार्क की पैमाइश के दौरान तिरंगा महाराज पर हमला हुआ। स्थानीय लोगों और उनके समर्थकों का कहना है कि लेखपाल और उनकी टीम ने पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य किया। आरोप यह भी है कि अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर एक पक्ष विशेष का समर्थन किया, जिससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं। घटना के 5 दिन बीतने के बाद भी तिरंगा महाराज पर हुए हमले की एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। तिरंगा महाराज ने इस देरी को गंभीरता से लेते हुए आशंका जताई है कि उन्हें किसी झूठे मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है।
तिरंगा महाराज के समर्थकों का कहना है कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि उनके मौलिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे चुप नहीं बैठेंगे। इस घटना ने सरकारी अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यदि वे, जिन पर निष्पक्षता और कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, इस प्रकार के कृत्य में लिप्त पाए जाते हैं, तो जनता का विश्वास कैसे बहाल होगा? विधायक योगेश शुक्ला व तिरंगा महाराज के समर्थकों और स्थानीय लोगों की ओर से दबाव बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और दोषी को कब तक न्याय के कटघरे में लाया जाता है। यह घटना केवल मलिहाबाद के एक लेखपाल तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे क्षेत्र में प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर बहस का विषय बन गई है।