भाटपाररानी देवरिया कस्बा के बीआरडी इंटर कालेज परिसर में शनिवार रात इस्लाह ए मुआशरा कांफ्रेंस का आयोजन हुआ। जिसमें मौलाना उलेमाओं ने नबी की शान में तकरीर की। अजीजे मिल्लत हजरत अल्लामा जमीयतुल अशरफिया ने कहा कि कुरान की रोशनी में ही जिंदगी रोशन है। नबी के बताए रास्ते पर चलना ही इस्लाम की पहचान है। नबी को खुश करने के लिए नमाज, रोजा, रखना फर्ज है। नबी ने दुनियां को इंसानियत की राह दिखाने का काम किया। उन्होंने मुस्लिम समाज से नबी के बताए हुए रास्ते पर चलने और पांचों वक्त नमाज पढ़ने की बात कही। मौलाना मुहम्मद नईमुद्दीन बरकाती ने तकरीर करते हुए कहा कि नात और तकरीर में रसूल की तारीफ की जाती है। रसूल के दीवाने को नातेपाक और तकरीर से फर्क नही पड़ता दोनों में रसूल की ही बात होती है। रसूल के दीवाने दोनों को सुनते है। नबी से सच्ची मोहब्बत ही ईमान है। मोहब्बत करनी है तो नबी से करो। नबी का हर वक्त जिक्र ही सच्ची मोहब्बत है। नबी के दीवाने बहाना तलाशते है कि नबी का जिक्र होता रहे। इसीलिए नबी के चाहने वाले मिलाद और जलसा के जरिए उन्हें याद करते है , उनके बताए रास्तों पर चलने का अमल करते है। मुफ़्ती सुल्तान रजा ने कहा कि इस्लाम में इल्म हासिल करना महिला, पुरुष सबके लिए जरूरी है। शिक्षा से ही समाज को बेहतर बनाया जा सकता है।
शिक्षा का मतलब सिर्फ डिग्रियां हासिल करना नही बल्कि कुरीतियों पर प्रहार कर के उसे समाज से दूर करना है। शिक्षा से ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है। लेकिन आज मुसलमान शिक्षा से दूर जा रहा है। समाज के बेहतरी के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। नबी के बताए रास्ते पर चल कर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। समाज की कुरीतियों पर प्रहार करते दहेज प्रथा बंद करने व मां बाप की सेवा करने की बात कही। अंत में उलेमाओं ने फातिहा पढ़ कर मुल्क की सलामती की दुआ मांगी। जलसा को इम्तियाज बरेलवी, मौलाना रफीक अहमद, हाफिज आलमगीर, कारी इम्तियाज, ने नातेपाक पढ़ी। शोएब रजा कादरी ने नात सुना कर शमा बांधा। इस अवसर पर सईद अख्तर, अब्दुल कलीम, मो ईसा, मतलूब, डॉ मोहर्रम, सहाबुद्दीन, सरफराज, वाजिद अली, फकरुद्दीन, नौशाद, अनवर आदि मौजूद रहे।