औरैया बाबा शाह जमाल शाह स्थित हजरत इमाम हुसैन की शहादत में मोहर्रम की 1 तारीख से लेकर चांद की 10 तारीख तक इमाम हुसैन की शहादत को याद किया गया और मजलिस का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ो की तादाद में मुस्लिम समाज के लोग एकजुट होकर मजलिस मैं शामिल हुए और हजरत इमाम हुसैन की बाकियों को सुना, हाफिज मौलाना अल्तमश चिश्ती जानकारी देते हुए बताया कि हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ कर्बला यजीदी मुनाफिको से लड़ाई लड़ते-लड़ते सहित हो गए थे। जिसको लेकर मुस्लिम समाज के लोग मोहर्रम की 1 तारीख से लेकर 10 तारीख तक हजरत इमाम हुसैन को याद करते हैं और जगह-जगह हुसैनी लंगर, कुरान खानी एवं फातिहा, दिलाते हैं। वही मोहर्रम की 10 तारीख को मजलिस का आयोजन हुआ मुकम्मल, मुस्लिम समाज के लोगों ने मौलाना अल्तमश चिश्ती सहाब का फूल माला पेहनाकर इस्तकबाल किया एवं तोहफा वह नजराना दिया।
वही मुहर्रम की 10वीं तारीख, जिसे आशूरा कहा जाता है, हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाई जाती है। यह दिन इराक के कर्बला में इमाम हुसैन, उनके परिवार और साथियों की शहादत का प्रतीक है, जहाँ उन्हें यजीद की सेना ने बेरहमी से मार डाला था। वही मुहर्रम का महीना इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है, और 10वीं तारीख, आशूरा, इस महीने का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन, हजरत इमाम हुसैन, जो पैगंबर मुहम्मद के नवासे थे, अपने परिवार और साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। इसी को लेकर पूरी दुनिया में मोहर्रम का पर्व मनाया जाता है।
वही इस मौके पर हाजी अब्दुल शकूर, गुलजार हाफिज , हाफिज अजीम, बिलाल मस्जिद के खादिम रईस कादरी, यूसुफ, राशिद खान, अब्दुल सलाम, पप्पू राईन, हाफिज पेंटर, फिरोज फारूकी, जमील वारसी, अजमल खान, नौशाद भाई, हाफिज अरमान, मौलाना हसनैन, समीम कादरी, नदीम कादरी, रिजवान बरसी, गुलफाम उर्फ़ मुन्ना, आरिफ खान, रोशन, सैकड़ो की तादात में मुस्लिम समाज के लोग रहे मौजूद।