सीतापुर /जिला प्रशासन सीतापुर द्वारा आयोजित मिश्रिख-नैमिषारण्य महोत्सव के अंतिम दिवस पर आयोजित भव्य कवि सम्मेलन में काव्य प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। देशभर के नामचीन कवियों ने अपनी ओजस्वी, श्रृंगारिक, हास्य और व्यंग्य से भरपूर कविताओं के माध्यम से रातभर उपस्थित जनता को बांधे रखा। पूरे पंडाल में ऐसी कविता की रसधारा बही कि श्रोता भोर तक मंत्रमुग्ध होकर कविताओं का आनंद लेते रहे।
इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में देश के जाने-माने कवियों ने हिस्सा लिया, जिनमें डॉ0 सर्वेश अस्थाना, भुवन मोहिनी, मणिका दुबे, उपजिलाधिकारी शिखा शुक्ला, गजेन्द्र प्रियांशु, नीलोत्पल मृणाल, हास्य कवि शंभू शिखर, जगजीवन मिश्र और अंत में डॉ0 हरिओम पवार ने काव्य पाठ किया।
कवि सम्मेलन की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कार्यक्रम में सीतापुर के एम0एल0सी0 पवन सिंह चौहान, मिश्रिख विधायक रामकृष्ण भार्गव, नैमिष क्षेत्र के संत-महंत और प्रशासनिक अधिकारीगण भी उपस्थित रहे और पूरी रात काव्य की गंगा में सराबोर होते रहे।
इस दौरान हजारों की संख्या में श्रोता पंडाल में डटे रहे और रातभर कविताओं का आनंद लिया। तालियों की गूंज और वाह-वाह की आवाजें पूरे आयोजन स्थल पर गूंजती रहीं।
डॉ0 सर्वेश अस्थाना ने किया बेहतरीन संचालन
कवि सम्मेलन का संचालन देश के प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि डॉ0 सर्वेश अस्थाना ने किया। उन्होंने पूरे कार्यक्रम को अपनी ऊर्जा और हास्य से भर दिया। पूरी रात वे दर्शकों को हंसाते रहे और कवियों को मंच पर बुलाते रहे। उनकी चुटीली टिप्पणियों और हास्य कविताओं ने माहौल को हल्का और आनंदमय बनाए रखा।
कवयित्री डॉ0 भुवन मोहिनी की सरस्वती वंदना से हुई शुरुआत
कवि सम्मेलन की शुरुआत कवयित्री भुवन मोहिनी की सरस्वती वंदना से हुई, जिन्होंने अपनी मधुर वाणी से पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। उनकी वाणी में शक्ति और मधुरता का ऐसा संगम था कि पूरा पंडाल श्रद्धा और भक्ति में डूब गया।
इसके बाद उन्होंने अपने भावनात्मक अंदाज में सुनाया-एक मीरा दीवानी तो मुझमें भी है।
कवयित्री/उपजिलाधिकारी शिखा शुक्ला ने मोहब्बत पढ़े छन्द
हर शाम तुम्हारी यादों में, हर रात तुम्हारी बाहों में, तो क्या इससे भी ज्यादा कुछ माँगा था मैंने जीवन से मैं गीत बनाकर होठों पे तुमको रख लूँ, तुमको गाऊ, तुम ख़ामोशी से सब कह दो, मैं ख़ामोशी पढ़ती जाऊ।
बड़े बेचौन लम्हे हैं बड़े बेचौन मंजर है जो आंखों में नहीं दिखते कभी-कभी दर्द अंदर है, तुम्हारी और यह मेरी नजर यूं ही नहीं जाती मेरी प्यासी निगाहें हैं तेरी आंखें समंदर है।
होली के रंगों से सराबोर हुईं मणिका दुबे की कविताएं
कवयित्री मणिका दुबे ने अपनी कविता के माध्यम से होली के रंगों में रस घोल दिया। उनकी पंक्तियां सुनते ही पूरा पंडाल कृष्ण और राधा के रंग में डूब गया-कान्हा भी राधा संग खेले बरसाने में होली, बोले राधा मुझसे ना करियो अब आंख मिचौली।। राधा इन गालों पर मुझसे इंद्र धनुष बनवाओ, पिया मुझे धीमे रंग लगाओ।
उनकी कविता में श्रृंगार और लोकगीतों की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
नीलोत्पल मृणाल की कविताओं में बसा युवा मन का दर्द
जब नीलोत्पल मृणाल मंच पर आए, तो पूरा पंडाल शांत हो गया। उनके शब्दों में युवा हृदय की पीड़ा और बदलते समाज की हकीकत झलक रही थी। उन्होंने अपने प्रसिद्ध कविता की पंक्तियां सुनाईं- स्कूलों की दीवारों पर जा दिल बनाने वाले लड़के, चलती तीर को हंसकर अपने दिल पर खाने वाले लड़के।। दिल टूटे तो बिस्तर पर ही झील बनाने वाले लड़के, उस दौर का जादू क्या जाने, ये रील बनाने वाले लड़के।
इस कविता ने युवाओं को विशेष रूप से प्रभावित किया और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मंच गूंज उठा।
हास्य और व्यंग्य का धमाकारू शंभू शिखर की ठहाकेदार प्रस्तुति
हास्य कवि शंभू शिखर ने जब मंच संभाला तो पूरे पंडाल में ठहाकों की गूंज सुनाई देने लगी। उनकी राजनीतिक व्यंग्यात्मक कविताओं ने श्रोताओं को खूब हंसाया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति पर तंज कसते हुए सुनाया- लालू से मिलो, वो तुम्हे बिहारी न कर दे, जनता तुम्हे यहां की भिखारी न कर दे। उत्तर प्रदेश जाना ट्रंप सोच समझ कर, योगी जी तुम्हे ट्रंप से तिवारी न कर दें।
इस पर दर्शकों ने तालियों और हंसी के साथ कवि का स्वागत किया।
गजेन्द्र प्रियांशु की मार्मिक प्रस्तुति
कवि गजेन्द्र प्रियांशु ने समाज की सच्चाइयों को अपनी कविता के माध्यम से बड़े ही प्रभावी अंदाज में प्रस्तुत किया। उनकी कविता की पंक्तियां सुनकर पूरा पंडाल भावुक हो गया-रात-रात भर तुमको गाया, सुबह छपे अख़बार में।
उनकी इस कविता ने समाज की संवेदनाओं को झकझोर दिया और दर्शकों को गहरी सोच में डाल दिया।
अंत में डॉ0 हरिओम पवार की ओजस्वी प्रस्तुति ने भरा जोश
कार्यक्रम के अंतिम चरण में मंच पर आए वीर रस के प्रतिष्ठित कवि डॉ0 हरिओम पवार। उनके ओजस्वी काव्य पाठ ने पूरे पंडाल में जोश भर दिया। उन्होंने सुनाया-भारत में हर समझौतों का आदी होना छोड़ दिया, कुछ बातों में हमने बापू गांधी बनना छोड़ दिया।
इन पंक्तियों को सुनकर जनता ने जोशीले नारों और तालियों से कवि का स्वागत किया। उनकी कविताएं हमेशा की तरह भारतीयता और राष्ट्रप्रेम की भावना को बुलंद करने वाली थीं।
कवि सम्मेलन बना यादगार आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत भुवन मोहिनी की सरस्वती वंदना से हुई और समापन हरिओम पवार के ओजस्वी काव्य पाठ से हुआ। डॉ0 सर्वेश अस्थाना के संचालन और हास्य-व्यंग्य से कार्यक्रम में जीवंतता बनी रही।
हजारों की संख्या में दर्शकों ने पूरी रात कवि सम्मेलन का आनंद लिया और भोर तक तालियों की गूंज से पंडाल गूंजता रहा।