प्याज की कीमतों में वृद्धि के पीछे नई फसल के आने में कमी और निर्यात में तेजी है. महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्यों में खरीफ सीजन की प्याज की गुणवत्ता में कमी के कारण मार्केट में सही समय पर प्याज नहीं पहुंच पा रहे हैं. बाजार में बढ़ रहे प्याज के दाम के कारण आम जनता परेशान हैं. कई शहरों में प्याज की कीमत 80 रुपये किलो पार चली गई. इसके बाद भी निर्यात में कम नहीं हो रहा. दाम बढ़ने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण है, जिनमें से प्याज का निर्यात
प्याज बढ़ने के पीछे के कारण
प्याज की कीमतों में वृद्धि के पीछे नई फसल के आने में कमी और निर्यात में तेजी है. महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्यों में खरीफ सीजन की प्याज की गुणवत्ता में कमी के कारण मार्केट में सही समय पर प्याज नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिसके कारण पुरानी फसलों के दाम बढ़ते जा रहे हैं. अब सरकार से प्याज के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की जा रही है. 15 दिन पहले नासिक के पिंपलगांव बाजार में बेहतरीन किस्म के प्याज के दाम 51 रुपये प्रति किलो थे, जो अब बढ़कर 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. वहीं सामान्य किस्मों के प्याज के दाम 51 रुपये प्रति किलो के आसपास था, जो अब बढ़कर 58 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं.
कब आएगी कीमत में कमी
प्याज के आयात पर बांग्लादेश ने आयात शुल्क हटाई, जिसके बाद भी प्याज का निर्यात बढ़ गया है. उम्मीद की जा रही है कि 8 से 10 दिनों में प्याज की नई फसल आने के बाद कीमतों में कमी आ सकती है. व्यापारियों को उम्मीद है कि नवंबर के अंत तक प्याज के दाम में कमी आ सकती है. दिवाली के कारण थोक बाजार बंद रहने के कारण आपूर्ति की कमी हुई. जिसके कारण प्याज के थोक दाम में 30 से 35 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज हुई. पिछले साल की रबी फसल का प्याज खत्म होने पर आया है. कई राज्यों में सितंबर में भारी बारिश हुई, जिसके कारण प्याज की नई फसल प्राप्त करने में देरी हो रही है. मार्च और अप्रैल में जिन प्याज की कटाई हुई थी, उनकी कीमत अभी बाजार में सबसे ज्यादा है.